Jealousy discussion of Krishan Shringaar Articles

ये चर्चा है श्री कृष्ण के तीन अभिन्न श्रृंगारो की, कैसे वो एक दूसरे से प्रेम युक्त ईर्षा करते है

बांसुरी बोली कृष्ण चरण पर लिपटी धुल से –

हे बड़भाड़ी धुल रानी, ऐसी किस्मत कहाँ से लिखवाई

जिन चरनन का वंदन करे देवता, तू उनपर लिपटत जाई

साधु संत तुझे पाने ख़ातिर, जनमो की तपस्या करत आये

बड़बागी चरण धूल तू, परम पवित्र बन कर छायी

धुल का जवाब –

मैं बड़भागी बहुत इतराती, पूर्ण पुरुष का संग जो पाया

जब जब कान्हा आगे आये, हर कदम मेरे सीस पर आया

किन्तु इर्षा तुमसे करूँ थोड़ी –

जिस कान्हा साधे जग सारा, साधा तुझको वो कन्हैया

कृष्ण के लब और कृष्ण को साँसे, ये अहो भाग्य बस तुमने पाया

अभिन्न अंग हो तुम कान्हा का, जिसने सब संसार नचाया

बांसुरी का जवाब –

बात तुम्हारी सही मैं मानु, फिर भी इर्षा तुमसे जाणु

दूसरी इर्षा मोरपंख से, जो कृष्णा के माथे पर साजे

मोरपंख का जवाब-

बलिहारी मैं अपने स्वामी के, जिसने मुझे ये स्थान दिलाया

जिस कृष्ण ने सजाया संसार, मैंने उसके मस्तक को सजाया

हम तीनो का मान एक है, क्योंकि कृष्ण ने हमें अपनाया

इर्षा तो मुझको भी होवे, छू जो न पाती प्रभु कमल पाया

कृष्ण का जवाब –

तुम सब मेरे प्रिय हो अपने, तुम तीनो हो मेरी छाया

बलिहारी मैं तुम्हारी भक्ति पर, तुमने मुझे हमेशा सजाया

तुम तो मेरे परम भक्त हो, एक पल तुम्हारे बिन रह न पाया

प्राण प्यारे तुम तीनो मुझको, तुमने कृष्ण को श्री कृष्ण बनाया

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