द्वार खुले, दीप जले, मिलने धरा पर आये, जिनका हूँ मैं अभिमान
मेरे पितृ मेरा आधार, मेरे तो पर्सनल भगवान्
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मेरे रंग रूप, कद काठी सबके निर्णायक तुम हो
मेरे डीएनए सूत्र के पीढ़ियों से फलदायक तुम हो
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आपका स्नेह सदैव मेरे साथ, हर सदकर्म में सहायक हो
पितृ दिवस पर मिलने आये, अपनी कृपा बरसाते रहो
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चींटी पाताल कौआ आकाश कुक्कुर भूतल को खिलाये
आपके नाम से आज ब्राह्मण देवलोक तृप्त कर पाए
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तृप्त होकर मेरे दादा दादी कुछ देर विश्राम करो
हाथ फेरो मेरे सर पर पहले जैसे , थोड़ी सी बात करो
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मेरी सभी गलतियों को पहले जैसे माफ़ करो
नेक कर्म नेक विचार पर चले , मार्गदर्शक बनकर साथ चलो
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राम कृष्ण को किसने देखा किसने समझा गीता ज्ञान?
मैंने तुमको देखा तुमसे सीखा, आप मेरे तो पर्सनल भगवान्

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