दो बंदर बनके सिकंदर, अखंड के 2 खंड करवाए
दोनो बने मुखिया खंडो के, 1947 को जीत कहाये
भेड़ चाल जनता में ऐसी, जनेऊ पगड़ी टोपी भिड़ जाए
धर्म के नाम पर देश बांटा, फिर सेकुलरिज्म के गाने गाये
जिन्नहरू मैंने नहीं बोलै, फिर भी समझना है जो समझ जाए
जनता रानी बड़ी सयानी ,आँख बंद कर सुने कहानी
अपना दिमाग संभाल कर रखा, बस इसने बंदरो की मानी
हर 5 साल बाद बन्दर बदलते, जनता ख़ुशी से ताली बजाये
कोई जगाओ इन भेड़ो को, नए बंदर लाइन न खींच पाए
अखंड भारत फिर से बनाओ, आओ नए सपने सजाए
बहुत हुआ बन्दर बाँट, चलो जंगल राज मिटाये
टुकड़े टुकड़े फैले कंधार तक, संजो कर भारत माला बनाये
विश्व गुरु बनने का समय है, कोई कौतुहाली हो ना पाए
साम दाम दंड भेद अपनाओ, एकता कोई बन्दर तोड़ न पाये
खंड से अखंड बने हम, कोई चाणकय को खोज लाये
Like this:
Like Loading...
Related