What a beautiful poem written by Legend Ram Prasad Bismil ! A founding member of Hindustan Republic Association (HRA) and close associate of Legend Bhagat Singh

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है ऐ शहिद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार ले तिरी हिम्मत का चर्चा साहिर ए महफिल में है वा ए किस्मत पांव की ऐ जोफ कुछ चलती नहीं कारवां अपना अभी तक पहली ही मंजिल में है रहरव-ए-रह-ए-मोहब्बत रहा न जाना राह में लज्जत-ए-सहरा-नवर्दी दुरी-ए-मंज़िल में है शौक से रह-ए-मोहब्बत की मुसीबत झेल ले इक खुशी का राज पिन्हान जदा-ए-मंजिल में है आज फिर मकतल में कातिल कह रहा है बार बार आन-ए-शौक-ए-शहादत जिन के दिल में है मरने वालो आओ अब गरदन कटाओ शौक से ये गनीमत वक्त है खंजर कैफ-ए-क़ातिल में है मान-ए-इज़हार तुम को है हया, हम को अदब कुछ तुम्हारे दिल के अंदर कुछ हमारे दिल में है मयकदा सुनसान हम उलटे पड़े हैं जाम चुर्र सर्निगुण बैठा है साकी जो तेरी महफिल में है वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमां हम अभी से क्यूं बताये क्या हमारे दिल में है अब न अगले वलवले हैं और न वो अरमान की भीड़ सिर्फ मिट जाने की इक हसरत दिल-ए-बिस्मिल में है
Jai Hind
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