बहुत समझाया था एहसासो को,
मत मिलो अल्फाजों से बिगड़ जाओगे
जब तक तन्हा हो महफूज हो तुम
अल्फाज बन गए तो रोड पर आ जाओगे
मेरे निजी हो तो चहकते रहते हो ख्यालों में सारा दिन
महफिल ए आम हो गए तो ये प्यार कहां पाओगे
कोई तोड़ेगा, मुंह मोड़ेगा, हसेगा तुम पर
एक वाह के लिए कई बार पढ़े जाओगे
गर पा भी लोगे शोहरत थोड़ी सी,
मेरे होकर भी दुनिया के कहलाओगे
अल्फाज परवाना है शमा ए शायरी का
काफिये के जुनून में हर बार जलाये जाओगे
