ये जो पूरा का पूरा अधूरा छोड़ रहे हो
अनबने रिश्ते तोड रहे हो
नफरत घोसलो के तिनकों से है गर
तो सिर्फ तिनका निकालो, घोसला क्यों तोड रहे हो
जो मिला ही नहीं वो छोड़ दिया
अंगूर खट्टे है आखिर बोल ही दिया
हर बात में नुक्स देखने का हुनर
क्या तुमने भी आइना तोड़ दिया
खामोशी से देखता हूं तुमको आते जाते
हर बार कुछ नया ले ही जाते हो
तुमको लगता है गुजरते हो सड़क से
क्या बताएं ख्यालों में कितने चक्कर लगाते हो
धीमे कदम पास निकलते तेज लगते है
थम जाया करो जब यहां से जाते हो
वक्त के रुकने का अहसास हर बार होता है
जब जब तुम हल्के से नजरे मिलाते हो
अब समझा ला इलाहा को लैला वो क्यों कहता था
तुम भी सूरत ए खुदा से मेल जो खाते हो
धड़कने सांसे आंखे अहसास खामोशी हवा मिट्टी शब्द और कायनात
सब शून्य लगता है जब नजरो में गहरा जाते हो