
तुमको तो पता है राते कैसे गुजर रही है आज कल
खुली आंखों में नींद बसर रही है आज कल
जानते हो तो बोलते क्यूं नहीं
अब और किससे झूठी तारीफ सुन रहे हो आज कल
देखना सुनना मुस्कुराना सब बीत गया
किसके फरेब में फस रहे हो आज कल
पास से निकल गए नजर चुरा कर
लगता है किसी नए से मिल रहे हो आज कल