
सही वक्त के इंतजार में उम्र गुजार दी
लोगो ने बुरे वक्त में भी त्योहार सजा लिय
तुम ख्वाहिश करते रहे सच होने की
हमने झूठ को ही सच का फरमान मान लिया
नींद आंखों मे रही, ज़हन में न पहुंची
हमने करवट को ही नींद का एहसान मान लिया
खरखराहट सूखे पत्तों के हिलने की हुई
खामोशी को उनके आने का पैगाम मान लिया
हम तुम्हारे शांत होने का इंतजार करते रहे
तुमने शराफत को हीज्र ए निशां मान लिया
Wah bhut khub
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