
क्या लिखूं उस गाथा को जो तुम अपने खून से कह गए
बड़े खुशनसीब निकले 12 जो वर्दी में अलविदा कह गए
आंखे नम है देश की तुम्हारे बलिदान पर
तड़पी तो वो धरती भी होगी जहां उड़न खटोले ढह गए
तुम्हे लेने तो आसमान को भी नीचे आना पड़ा
काल के चक्र पर तुम नई कहानी कह गए