
ऐ जिंदगी, चाय पर मिलेगी आज? आजा बैठ कुछ बात करते है
अरसा हुआ तुझसे मिले हुए, आजा आज मिलते है, कुछ तेरी कुछ मेरी बात करते है
तुझे देखता हूँ तेज भागते हुए, कहाँ जाती हो?
चलती रहती हो हमेशा, थक नहीं जाती हो
अगर थक जाओ कभी तो आना मेरे पास, बहुत वक़्त छुपा कर रखा है मैंने,
किसी को बताना नहीं, बस चुप करके आ जाना, टाइम पास करते है
–+
तुम्हें याद है बचपन में जब मैं बीमार पड़ा था? मेरे पापा ने बचाया था तुम्हे
तुम इतनी बेशरम हो वो एहसान उतारने भी नहीं आती,
हुब-हू हो मुझ जैसी फिर भी इतना हो इतराती
आओ मिलकर ये शिकवे दरकिनार करते है, एक फिर से मुलाकात करते है
—
देख लो अब भी मान जाओ, थोड़ा रुको, और पास आओ, नहीं तो हम तो निकल जायेंगे कभी
फिर न कहना नयी जिंदगी को लेकर बचपन में फिर आएंगे जभी,
वो नयी सुबह होगी नयी जिंदगी के साथ
शायद वो मेरी बात मानेगी, चलेगी, रुकेगी और बात करेगी मेरे साथ
फिर तुम ना कहना की मुलकात करते हैं, एक और बात करते हैं
ऐ जिंदगी, चाय पर मिलेगी आज? आजा बैठ कुछ बात करते है ||