थोड़ी इधर थोड़ी उधर छोड़ता रहा गुजरती हुई जिंदगी
इसी उम्मीद में कि जीयेंगे एकदिन फिर कभी
पीछे मुड़ना तो अब असंभव सा हो गया
खुद को फिर से जीना एक सपना सा हो गया
पहले छोड़ते थे, अब छूट जाता है
आता हुआ हर पल रेत सा फिसल जाता है
जो जिया बस उसकी अब यादें साथ रहती है
छूटी हुई ज़िंदगी तु अब ख्वाहिश बन मेरे साथ रहती है
