हे चांद, तू सच में इतना सुंदर है?
या मेकअप करके आता है
सच बता चांदनी को तू किस तरह पटाता है
ऐसा कैसे वो तेरे हमेशा आसपास रहती है
क्यूं ऐस लगाता है तू उसके आगोश में सिमटता जाता है
ये तुम्हारा प्यार है या चांदनी का शक
ऐसे कैसे तू अकेला कभी नही निकल पाता है
कभी छुपता है, कभी निकलता है थोड़ा, कभी निकलता है बेशुमारी में
पर चांदनी की चमक हमेशा साथ लाता है
