कोई खरीदता रहा खुशियां उम्र भर
कोई खुद में उतरा और मुक्कमल हो गया
मैने कब कहा की मुझे प्यार करो
बस ये इजहार ए नफ़रत थोड़ी सी कम मेरे यार करो
तुम्हारी मिजाज़ से कुछ बिगड़ता नहीं अब हमारा
ये सेहत के लिए ठीक नही, कुछ अपना भी ख्याल करो
बड़ी मशकत से बनाया था इस दिल को लोहे का
तुम चुंबक सी आई और खींच कर ले गई
बस इतनी सी बात पर वो नाराज़ हो गए
बस नाम ही तो पूछा था उनकी मस्त सहेली का