कहां मिलोगे मुझे कन्हैया, कुछ तो अपनी राह बताओ
उम्र बीत गयी तुमको ढूँढ़ते, कभी कही तो टकरा जाओ
मैंने तो जन जन से पूछा, बहती हुई पवन से पुछा
कहाँ छिप गए हो मेरे कान्हा, अब बस और न मुझको तडपाओ
हम तो तेरे दास है स्वामी, तू तो है अन्तर्यामी
हम भक्तो से क्या शर्माना, हमे न चाहिए कोई खजाना
हम तो बस तेरे दर्शन के प्यासे, हमारी भी प्यास बुझाओ
कहां मिलोगे मुझे कन्हैया, कुछ तो अपनी राह बताओ
वृन्दावन ढूंडा, मथुरा ढूंडा
हर तीरथ हर मंदिर में ढूंढा
हर सुन्दर मूरत में ढूंढा, तेरी बनायी सूरत में ढूंढा
कहीं तो अपना दरस दिखाओ
कहां मिलोगे मुझे कन्हैया, कुछ तो अपनी राह बताओ
कब वो सूंदर घडी आएगी, जब तुम्हारी सूरत दिख जायेगी
चाहे वो अंत छड़ी हो, तपस्या कितनी भी कड़ी हो
तब तक तुम्हे ढूँढ़ते रहेगे, जब तक तुम मिल न जाओ
कहां मिलोगे मुझे कन्हैया, कुछ तो अपनी राह बताओ
हे मेरे कान्हा दरस दिखाओ, जीवन को तृप्त कर जाओ
आसान नहीं मुझसे पीछा छुड़ाना, मैं तो हूँ तुम्हारा पक्का दीवाना
जल्दी से अब आ भी जाओ, हे मेरे प्रभु दरस दिखाओ
कहां मिलोगे मुझे कन्हैया, कुछ तो अपनी राह बताओ
Radhe
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