आजादी की छुट्टी मनाने वालो –
बहुत से मरने वालों ने ये बीड़ा उठाया था, हमारे आज के लिए अपना कल गवाया था
गद्दारो ने हमेशा ही हमारी पीठ छिली थी, दुश्मन का लोहा हमने छाती पे खाया था
वो भी सो सकते थे अपनी मां के आंचल में, भारत माँ की पुकार को उन्होनें ज्यादा पाया था
उनकी मां ने उन्हे यही समझया था –
भगत तू दे कुर्बानी बथेरे भगत और आएंगे, फांसी फंदे को चुम कर उसने जीना सिखाया था
आज हम मस्त जीते हैं आजादी की हवा में
ये हवा कर्ज है उस सिपाही का, जो लौट कर न आया था
मना लो इस छुटी को ऐशो आराम से
बस बता देना अपने बच्चों को, ये आजादी कौन लाया था!
जय हिन्द! स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं!
शरद प्रिंजा sharadprinja.com
