मिट्टी तेरी, मिट्टी मेरी, मिट्टी में होना विलय
मिट्टी मिट्टी से क्यों लड़े, ऐसा क्या है ध्यये
निराकार साकार ने, दिया सब कुछ मिट्टी बतायें
मिट्टी से ऊपजे, मिट्टी मिले, मिट्टी संचय काहे
मिट्टी सृष्टि की कोख है, सब जीवो का मूल
राम कृपा से हो गई, मिट्टी कृष्ण चरणन की धूल
मिट्टी तू तो महिमामयी, सब जीवो की मां
तुझमे जन्मे, तुझमे मिले, चाहे कोई भी हो सूरमा
जूठा रंग रूप है, जूठा सब अभिमान
एक दिन मिट जाएगा, मिट्टी में सब समान
मिट्टी मिट्टी में तन गई, कोई ना जीत पाये
जीते तो भी मिट्टी, हारे तो भी मिट्टी हो जाए
मिट्टी तू क्यों अकड़ती, ऐसा तू क्या पाये
ऐसी कौन सी चीज है, जो मिट्टी ना हो जाए
मिट्टी मिट्टी में भेद है, जब तक रहे अहंकार
सांस जब निकल गई, तब मिट्टी हुआ संसार
मिट्टी अजन्मी जून है, तेरा जीवन अकाल
तुझमे सारा सार है, तुझमे सारे सवाल
मिट्टी तू तो धूल है, उड़े सारे संसार
जब उड़ना बंद करे, टीले का दे आकार
टीला मारुथल में रोज़ बदले रूप
आस्थिरता ही नियम है, स्थिरता दे विदूख
मिट्टी तू वो काल है, जिसने देखा अकाल
मंगल पर भी तू मिले, रंग तेरा हो लाल
धूल पोंछते, धूल झाड़ते, रहते धूल से दूर
सब कुछ रहना इसी में, करले इसे कबूल
मिट्टी उपजे भोजन मिले, भोजन से संसार
मिट्टी अन्नपूर्णा सब की, उपज खाए संसार
पुतले बनाये, पुतले तोड़े, वो देखो कुम्हार
मन कृष्ण का दास है, मिट्टी लाई उधार
कर्ज मुक्त होने का, एको ही है उपाये
अपनी मिट्टी पहचान ले, मन को राम में लगाये
मिट्टी मिट्टी पर लिखे, मिट्टी पढ़त मुस्काये
मिट्टी होना ही नियम है, फिर काहे इतराये