‘आज’ फिर गुजरने लगा है’कल’ जैसा लगने लगा है’सन्नाटा’ चीख रहा है’स्याह’ आंख मींच रहा है’बेताबी’ थक रही है’खामोशी’ कुछ बक रही हैहर कोना मोन है’आइना’ पूछे तु कौन हैअधर सिर्फ थिरक रहा हैजवाब फिर उलझ रहा हैदिल कहीं छुप गया हैआज इसने फिर से ‘ना’ सुना हैइजहार जरूरी थोड़ी हैहर चाहत प्यार थोड़ी हैमनContinue reading “आज इसने फिर से ‘ना’ सुना है”
Category Archives: Prem Rog
चांद
हे चांद, तू सच में इतना सुंदर है?या मेकअप करके आता हैसच बता चांदनी को तू किस तरह पटाता है ऐसा कैसे वो तेरे हमेशा आसपास रहती हैक्यूं ऐस लगाता है तू उसके आगोश में सिमटता जाता है ये तुम्हारा प्यार है या चांदनी का शकऐसे कैसे तू अकेला कभी नही निकल पाता है कभीContinue reading “चांद”
परी सी लड़की
वो काफी हाउस की पीछे की कुर्सीवो बालो से खेलती पागल सी लड़कीलंबी सी गोरी सी अख्खड़ सी लड़कीवो बिन बात के हस्ती लड़ती सी लड़कीवो इंग्लिश के लहजे में हिंदी सी लड़कीवो उड़ती फुदकती कबूतर सी लड़कीवो गहरे ख्यालों में उलझी सी लड़कीवो गर्मी की धूप में कुल्फी सी लड़कीवो सर्दी में चाय कीContinue reading “परी सी लड़की”
जुल्म ए जालिम
बहुत खुश हूं तेरे आगोश में ए जालिम, तेरा ये जुल्म इतना लुभाता क्यूं है हिम्मत है तो उतार खंजर सीने में, ये धीरे धीरे चुबाता क्यूं है रोक देता है सांसे तेरा बार बार भड़कना, फिर तू हर बार मुस्कुराता क्यूं हैलगाई है आग तो जलने दे घर सबके, तू बार बार बरसात कराताContinue reading “जुल्म ए जालिम”
किसके लिए?
जानता था गलती कर रहा हूंना करता तो ना करता किसके लिए?कुछ तो मकसद तेरे आने का भी होगाहमे तो बताओ आए थे जिसके लिएवो ना आए खिड़की पर एक बार भीथकती रही साइकिल हमारी जिसके लिएढूंढ लेते थे उत्तर का रास्ता दक्षिण से भीउड़ाते रहे कागच के रॉकेट जिसके लिएलानत दे रहा था वोContinue reading “किसके लिए?”
कुछ कुछ अधूरा
प्यार तुमने भी किया मैंने भी लियाइज़हार तुमने भी किया मैंने भी कियादुनिया को बताने की हिम्मत न मैंने की न तुमने कीअधूरा रहने का फ़ैसला मैंने भी किया तुमने भी किया कुछ कुछ अधूरा रह जाए तो अच्छा हैसबकुछ न कह पाये तो अच्छा हैकम दिखते है हंजू जब मैं चलता हूंसबको सबकुछ नContinue reading “कुछ कुछ अधूरा”
दूरियां
मैं भी रोया था उनसे मिलकर बहुतवो मिल रहे थे बिछड़ने के लिऐन ढूंढने की कसम देकरवो जा रहे थे जिंदगी भर के लिऐवो खत भी जलवा गए थे जाते जातेजिसमे वादे किए थे उम्र भर के लिऐ वो तेरा, वो मेरा, वो हमारा अब सब किसका है?वो सब संजोया था किसके लिएवक्त की आगContinue reading “दूरियां”
गजल तुम पर
ये जो पूरा का पूरा अधूरा छोड़ रहे होअनबने रिश्ते तोड रहे होनफरत घोसलो के तिनकों से है गरतो सिर्फ तिनका निकालो, घोसला क्यों तोड रहे हो जो मिला ही नहीं वो छोड़ दियाअंगूर खट्टे है आखिर बोल ही दियाहर बात में नुक्स देखने का हुनरक्या तुमने भी आइना तोड़ दिया खामोशी से देखता हूंContinue reading “गजल तुम पर”