अधूरा कलाम

एक कलाम और लिखो, शब्द चुराने है एक तान और छेड़ो, चुनने तराने हैचुप ना बैठा करो बसतुम बस सपने देखो, मैने वो अपने बनाने हैतुम्हारे कलाम और मेरे ख्याल, एक जैसे हैतुम्हारी सोच और मेरी बात, एक जैसे हैहाय हैलो क्या हाल और इधर उधर की कोई बात, और उनके पीछे जज्बात, एक जैसेContinue reading “अधूरा कलाम”

गुम चुप

चुप हम भी चुप तुम भीचुप है ये तन्हाईयांनजर भी चुप हैअधर भी चुप हैखामोश है परछाईंयाआस भी गुम हैतलाश भी गुम हैगुम है सब पास भीखुद भी गुम हैबेखूद भी गुम हैगुम है एहसास भी

आज इसने फिर से ‘ना’ सुना है

‘आज’ फिर गुजरने लगा है’कल’ जैसा लगने लगा है’सन्नाटा’ चीख रहा है’स्याह’ आंख मींच रहा है’बेताबी’ थक रही है’खामोशी’ कुछ बक रही हैहर कोना मोन है’आइना’ पूछे तु कौन हैअधर सिर्फ थिरक रहा हैजवाब फिर उलझ रहा हैदिल कहीं छुप गया हैआज इसने फिर से ‘ना’ सुना हैइजहार जरूरी थोड़ी हैहर चाहत प्यार थोड़ी हैमनContinue reading “आज इसने फिर से ‘ना’ सुना है”

चांद

हे चांद, तू सच में इतना सुंदर है?या मेकअप करके आता हैसच बता चांदनी को तू किस तरह पटाता है ऐसा कैसे वो तेरे हमेशा आसपास रहती हैक्यूं ऐस लगाता है तू उसके आगोश में सिमटता जाता है ये तुम्हारा प्यार है या चांदनी का शकऐसे कैसे तू अकेला कभी नही निकल पाता है कभीContinue reading “चांद”

छूटी हुई ज़िंदगी

थोड़ी इधर थोड़ी उधर छोड़ता रहा गुजरती हुई जिंदगीइसी उम्मीद में कि जीयेंगे एकदिन फिर कभी पीछे मुड़ना तो अब असंभव सा हो गयाखुद को फिर से जीना एक सपना सा हो गया पहले छोड़ते थे, अब छूट जाता हैआता हुआ हर पल रेत सा फिसल जाता है जो जिया बस उसकी अब यादें साथContinue reading “छूटी हुई ज़िंदगी”

Career – moving to New job

आसमान बदल लिया मैनेऔर ऊंची उड़ान भरने कोपंख नए कर लिए मैनेतारों को छूना है एकदिन यकीननइसलिए, बादलों में घर कर लिया मैने नए बादल, नए पंछी और ये सर्द हवानीले घोड़ों पर सफर करने का मन कर लिया मैनेपुराने बादल ने सिखाया ऊंचा उड़ना इतनाएक छलांग में नया आसमान अपना कर लिया मैने hindipoetryContinue reading “Career – moving to New job”

कुछ शेर

पूछते हो बुलबुलों का पता हवा सेवो बता भी दे तो कहां पहचान पाओगे एक वहम और टूटातेरा जाना अच्छा तो नही लगापर एक झूठा और छूटा तुम इधर हो उधर हो या कहां हो बता तो दोतुम हवा ही आग हो या धुआं हो समझा तो दो अब तो ऐसी आदत पड़ गई हैContinue reading “कुछ शेर”

तुम्हे रुकना ग्वारा नही था

तुम्हे रोकने की कोशिश तो की थीतुम्हे रुकना ग्वारा नही थातुम्हारे साथ था तो सब अच्छा थामैं भी तब तक आवारा नहीं थाकवर चेहरे पर क्या चढ़ाया था तुमनेक्या वो चेहरा भी तुम्हारा नहीं थामज़ाक तो ऐसे ही करते थे तुमहमारे जज्बात ने भी कुछ बिगाड़ा नहीं थाखेल लो सब तुम्हारे लिए ही आए हैहमारेContinue reading “तुम्हे रुकना ग्वारा नही था”

जुल्म ए जालिम

बहुत खुश हूं तेरे आगोश में ए जालिम, तेरा ये जुल्म इतना लुभाता क्यूं है हिम्मत है तो उतार खंजर सीने में, ये धीरे धीरे चुबाता क्यूं है रोक देता है सांसे तेरा बार बार भड़कना, फिर तू हर बार मुस्कुराता क्यूं हैलगाई है आग तो जलने दे घर सबके, तू बार बार बरसात कराताContinue reading “जुल्म ए जालिम”

किसके लिए?

जानता था गलती कर रहा हूंना करता तो ना करता किसके लिए?कुछ तो मकसद तेरे आने का भी होगाहमे तो बताओ आए थे जिसके लिएवो ना आए खिड़की पर एक बार भीथकती रही साइकिल हमारी जिसके लिएढूंढ लेते थे उत्तर का रास्ता दक्षिण से भीउड़ाते रहे कागच के रॉकेट जिसके लिएलानत दे रहा था वोContinue reading “किसके लिए?”