एक कलाम और लिखो, शब्द चुराने है एक तान और छेड़ो, चुनने तराने हैचुप ना बैठा करो बसतुम बस सपने देखो, मैने वो अपने बनाने हैतुम्हारे कलाम और मेरे ख्याल, एक जैसे हैतुम्हारी सोच और मेरी बात, एक जैसे हैहाय हैलो क्या हाल और इधर उधर की कोई बात, और उनके पीछे जज्बात, एक जैसेContinue reading “अधूरा कलाम”
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कुछ शेर
पूछते हो बुलबुलों का पता हवा सेवो बता भी दे तो कहां पहचान पाओगे एक वहम और टूटातेरा जाना अच्छा तो नही लगापर एक झूठा और छूटा तुम इधर हो उधर हो या कहां हो बता तो दोतुम हवा ही आग हो या धुआं हो समझा तो दो अब तो ऐसी आदत पड़ गई हैContinue reading “कुछ शेर”
किसके लिए?
जानता था गलती कर रहा हूंना करता तो ना करता किसके लिए?कुछ तो मकसद तेरे आने का भी होगाहमे तो बताओ आए थे जिसके लिएवो ना आए खिड़की पर एक बार भीथकती रही साइकिल हमारी जिसके लिएढूंढ लेते थे उत्तर का रास्ता दक्षिण से भीउड़ाते रहे कागच के रॉकेट जिसके लिएलानत दे रहा था वोContinue reading “किसके लिए?”
गिला शिकवा शायरी
तुम्हे शिकवा मेरी मौजूदगी से हैये लो हम गुमशुदा हो गएमुस्कुराओ तुम अकेले हो अबऐसे क्यों गमज़दा हो गए —— ****** ——- कैसी तबियत है गुलिस्तां के फूल की, कांटे पत्तियां झाड़ कर जो मुस्कराना चाहता थामिट्टी से दूर होकर साफ रहने की हवस, अकेला ही टहनी पर खिलखिलाना चाहता थामाली ने तोड़ कर रौंदाContinue reading “गिला शिकवा शायरी”