‘आज’ फिर गुजरने लगा है’कल’ जैसा लगने लगा है’सन्नाटा’ चीख रहा है’स्याह’ आंख मींच रहा है’बेताबी’ थक रही है’खामोशी’ कुछ बक रही हैहर कोना मोन है’आइना’ पूछे तु कौन हैअधर सिर्फ थिरक रहा हैजवाब फिर उलझ रहा हैदिल कहीं छुप गया हैआज इसने फिर से ‘ना’ सुना हैइजहार जरूरी थोड़ी हैहर चाहत प्यार थोड़ी हैमनContinue reading “आज इसने फिर से ‘ना’ सुना है”
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जुल्म ए जालिम
बहुत खुश हूं तेरे आगोश में ए जालिम, तेरा ये जुल्म इतना लुभाता क्यूं है हिम्मत है तो उतार खंजर सीने में, ये धीरे धीरे चुबाता क्यूं है रोक देता है सांसे तेरा बार बार भड़कना, फिर तू हर बार मुस्कुराता क्यूं हैलगाई है आग तो जलने दे घर सबके, तू बार बार बरसात कराताContinue reading “जुल्म ए जालिम”
किसके लिए?
जानता था गलती कर रहा हूंना करता तो ना करता किसके लिए?कुछ तो मकसद तेरे आने का भी होगाहमे तो बताओ आए थे जिसके लिएवो ना आए खिड़की पर एक बार भीथकती रही साइकिल हमारी जिसके लिएढूंढ लेते थे उत्तर का रास्ता दक्षिण से भीउड़ाते रहे कागच के रॉकेट जिसके लिएलानत दे रहा था वोContinue reading “किसके लिए?”
कुछ कुछ अधूरा
प्यार तुमने भी किया मैंने भी लियाइज़हार तुमने भी किया मैंने भी कियादुनिया को बताने की हिम्मत न मैंने की न तुमने कीअधूरा रहने का फ़ैसला मैंने भी किया तुमने भी किया कुछ कुछ अधूरा रह जाए तो अच्छा हैसबकुछ न कह पाये तो अच्छा हैकम दिखते है हंजू जब मैं चलता हूंसबको सबकुछ नContinue reading “कुछ कुछ अधूरा”