अधूरा कलाम

एक कलाम और लिखो, शब्द चुराने है एक तान और छेड़ो, चुनने तराने हैचुप ना बैठा करो बसतुम बस सपने देखो, मैने वो अपने बनाने हैतुम्हारे कलाम और मेरे ख्याल, एक जैसे हैतुम्हारी सोच और मेरी बात, एक जैसे हैहाय हैलो क्या हाल और इधर उधर की कोई बात, और उनके पीछे जज्बात, एक जैसेContinue reading “अधूरा कलाम”

कुछ शेर

पूछते हो बुलबुलों का पता हवा सेवो बता भी दे तो कहां पहचान पाओगे एक वहम और टूटातेरा जाना अच्छा तो नही लगापर एक झूठा और छूटा तुम इधर हो उधर हो या कहां हो बता तो दोतुम हवा ही आग हो या धुआं हो समझा तो दो अब तो ऐसी आदत पड़ गई हैContinue reading “कुछ शेर”

दिवाली की सफाई

दिवाली की सफाई इस बार मैंने दिल से शुरू की कुछ पुरानी यादे, जो सिर्फ पड़ी थी एक कोने में एक पुराने कीमती शो पीस की तरहबाहर फेंकने की उसको, इस बार हिम्मत की कड़वे अनुभवों के लटकते मकडी जाले जो हर ख्याल को छू जाते थे, हटा दिए मैंने ये मुश्किल हिमाकत की अपेक्षाओंContinue reading “दिवाली की सफाई”