थोड़ी इधर थोड़ी उधर छोड़ता रहा गुजरती हुई जिंदगीइसी उम्मीद में कि जीयेंगे एकदिन फिर कभी पीछे मुड़ना तो अब असंभव सा हो गयाखुद को फिर से जीना एक सपना सा हो गया पहले छोड़ते थे, अब छूट जाता हैआता हुआ हर पल रेत सा फिसल जाता है जो जिया बस उसकी अब यादें साथContinue reading “छूटी हुई ज़िंदगी”
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कुछ शेर
पूछते हो बुलबुलों का पता हवा सेवो बता भी दे तो कहां पहचान पाओगे एक वहम और टूटातेरा जाना अच्छा तो नही लगापर एक झूठा और छूटा तुम इधर हो उधर हो या कहां हो बता तो दोतुम हवा ही आग हो या धुआं हो समझा तो दो अब तो ऐसी आदत पड़ गई हैContinue reading “कुछ शेर”
लक्ष्य तेरा बस इतना सा दूर है
तोड़ तू आलस की जंजीरे, लक्ष्य तेरा बस इतना सा दूर है चल उठ बाहर निकल तू देख, स्वागत करता अम्बर भरपूर है जो हूंकार गगन को चीरे, उस ध्वनि का कारक तू है काल के जिसने कान मरोड़े, उसकी निर्भीक विरासत तू है ले पहचान अपनी नियति को, लोक परलोक का शासक तू हैContinue reading “लक्ष्य तेरा बस इतना सा दूर है”