वो काफी हाउस की पीछे की कुर्सीवो बालो से खेलती पागल सी लड़कीलंबी सी गोरी सी अख्खड़ सी लड़कीवो बिन बात के हस्ती लड़ती सी लड़कीवो इंग्लिश के लहजे में हिंदी सी लड़कीवो उड़ती फुदकती कबूतर सी लड़कीवो गहरे ख्यालों में उलझी सी लड़कीवो गर्मी की धूप में कुल्फी सी लड़कीवो सर्दी में चाय कीContinue reading “परी सी लड़की”
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छूटी हुई ज़िंदगी
थोड़ी इधर थोड़ी उधर छोड़ता रहा गुजरती हुई जिंदगीइसी उम्मीद में कि जीयेंगे एकदिन फिर कभी पीछे मुड़ना तो अब असंभव सा हो गयाखुद को फिर से जीना एक सपना सा हो गया पहले छोड़ते थे, अब छूट जाता हैआता हुआ हर पल रेत सा फिसल जाता है जो जिया बस उसकी अब यादें साथContinue reading “छूटी हुई ज़िंदगी”
तुम्हे रुकना ग्वारा नही था
तुम्हे रोकने की कोशिश तो की थीतुम्हे रुकना ग्वारा नही थातुम्हारे साथ था तो सब अच्छा थामैं भी तब तक आवारा नहीं थाकवर चेहरे पर क्या चढ़ाया था तुमनेक्या वो चेहरा भी तुम्हारा नहीं थामज़ाक तो ऐसे ही करते थे तुमहमारे जज्बात ने भी कुछ बिगाड़ा नहीं थाखेल लो सब तुम्हारे लिए ही आए हैहमारेContinue reading “तुम्हे रुकना ग्वारा नही था”
किसके लिए?
जानता था गलती कर रहा हूंना करता तो ना करता किसके लिए?कुछ तो मकसद तेरे आने का भी होगाहमे तो बताओ आए थे जिसके लिएवो ना आए खिड़की पर एक बार भीथकती रही साइकिल हमारी जिसके लिएढूंढ लेते थे उत्तर का रास्ता दक्षिण से भीउड़ाते रहे कागच के रॉकेट जिसके लिएलानत दे रहा था वोContinue reading “किसके लिए?”
दूरियां
मैं भी रोया था उनसे मिलकर बहुतवो मिल रहे थे बिछड़ने के लिऐन ढूंढने की कसम देकरवो जा रहे थे जिंदगी भर के लिऐवो खत भी जलवा गए थे जाते जातेजिसमे वादे किए थे उम्र भर के लिऐ वो तेरा, वो मेरा, वो हमारा अब सब किसका है?वो सब संजोया था किसके लिएवक्त की आगContinue reading “दूरियां”
एहसास और अल्फाज
बहुत समझाया था एहसासो को,मत मिलो अल्फाजों से बिगड़ जाओगे जब तक तन्हा हो महफूज हो तुमअल्फाज बन गए तो रोड पर आ जाओगे मेरे निजी हो तो चहकते रहते हो ख्यालों में सारा दिनमहफिल ए आम हो गए तो ये प्यार कहां पाओगे कोई तोड़ेगा, मुंह मोड़ेगा, हसेगा तुम परएक वाह के लिए कईContinue reading “एहसास और अल्फाज”