थोड़ी इधर थोड़ी उधर छोड़ता रहा गुजरती हुई जिंदगीइसी उम्मीद में कि जीयेंगे एकदिन फिर कभी पीछे मुड़ना तो अब असंभव सा हो गयाखुद को फिर से जीना एक सपना सा हो गया पहले छोड़ते थे, अब छूट जाता हैआता हुआ हर पल रेत सा फिसल जाता है जो जिया बस उसकी अब यादें साथContinue reading “छूटी हुई ज़िंदगी”
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कुछ शेर
पूछते हो बुलबुलों का पता हवा सेवो बता भी दे तो कहां पहचान पाओगे एक वहम और टूटातेरा जाना अच्छा तो नही लगापर एक झूठा और छूटा तुम इधर हो उधर हो या कहां हो बता तो दोतुम हवा ही आग हो या धुआं हो समझा तो दो अब तो ऐसी आदत पड़ गई हैContinue reading “कुछ शेर”
Mitti – मिट्टी (Clay)
मिट्टी तेरी, मिट्टी मेरी, मिट्टी में होना विलय मिट्टी मिट्टी से क्यों लड़े, ऐसा क्या है ध्यये निराकार साकार ने, दिया सब कुछ मिट्टी बतायें मिट्टी से ऊपजे, मिट्टी मिले, मिट्टी संचय काहे मिट्टी सृष्टि की कोख है, सब जीवो का मूल राम कृपा से हो गई, मिट्टी कृष्ण चरणन की धूल मिट्टी तू तोContinue reading “Mitti – मिट्टी (Clay)”