तुम्हे रुकना ग्वारा नही था

तुम्हे रोकने की कोशिश तो की थीतुम्हे रुकना ग्वारा नही थातुम्हारे साथ था तो सब अच्छा थामैं भी तब तक आवारा नहीं थाकवर चेहरे पर क्या चढ़ाया था तुमनेक्या वो चेहरा भी तुम्हारा नहीं थामज़ाक तो ऐसे ही करते थे तुमहमारे जज्बात ने भी कुछ बिगाड़ा नहीं थाखेल लो सब तुम्हारे लिए ही आए हैहमारेContinue reading “तुम्हे रुकना ग्वारा नही था”

गिला शिकवा शायरी

तुम्हे शिकवा मेरी मौजूदगी से हैये लो हम गुमशुदा हो गएमुस्कुराओ तुम अकेले हो अबऐसे क्यों गमज़दा हो गए —— ****** ——- कैसी तबियत है गुलिस्तां के फूल की, कांटे पत्तियां झाड़ कर जो मुस्कराना चाहता थामिट्टी से दूर होकर साफ रहने की हवस, अकेला ही टहनी पर खिलखिलाना चाहता थामाली ने तोड़ कर रौंदाContinue reading “गिला शिकवा शायरी”