तुम्हे रुकना ग्वारा नही था

तुम्हे रोकने की कोशिश तो की थीतुम्हे रुकना ग्वारा नही थातुम्हारे साथ था तो सब अच्छा थामैं भी तब तक आवारा नहीं थाकवर चेहरे पर क्या चढ़ाया था तुमनेक्या वो चेहरा भी तुम्हारा नहीं थामज़ाक तो ऐसे ही करते थे तुमहमारे जज्बात ने भी कुछ बिगाड़ा नहीं थाखेल लो सब तुम्हारे लिए ही आए हैहमारेContinue reading “तुम्हे रुकना ग्वारा नही था”

दिवाली की सफाई

दिवाली की सफाई इस बार मैंने दिल से शुरू की कुछ पुरानी यादे, जो सिर्फ पड़ी थी एक कोने में एक पुराने कीमती शो पीस की तरहबाहर फेंकने की उसको, इस बार हिम्मत की कड़वे अनुभवों के लटकते मकडी जाले जो हर ख्याल को छू जाते थे, हटा दिए मैंने ये मुश्किल हिमाकत की अपेक्षाओंContinue reading “दिवाली की सफाई”

नवरात्रे प्रार्थना

महिषासुर मर्दिनी, सिंह वाहिनी, अष्टभुजा धारणी, शिव स्वामिनी, दिव्यता करनी, वैभव भरनी, सिद्धि दाती, मनवाँछित वरदाती, भक्त वात्सली, शक्ति महारानी हे माँ आपका स्वागत है हे माँ आओ, ज्ञान शक्ति भक्ति वैभव दे जाओ.. आपसे पाने की आदत है एक विशेष प्रार्थना ये भी मानो – नेता लिप्त भर्ष्टाचार में, सड़को पर बच्चे भीख मांगेContinue reading “नवरात्रे प्रार्थना”

लक्ष्य तेरा बस इतना सा दूर है

तोड़ तू आलस की जंजीरे, लक्ष्य तेरा बस इतना सा दूर है चल उठ बाहर निकल तू देख, स्वागत करता अम्बर भरपूर है जो हूंकार गगन को चीरे, उस ध्वनि का कारक तू है काल के जिसने कान मरोड़े, उसकी निर्भीक विरासत तू है ले पहचान अपनी नियति को, लोक परलोक का शासक तू हैContinue reading “लक्ष्य तेरा बस इतना सा दूर है”

आलस्य ज्ञान! Lethargic Wisdom !

हे आलस्य तू भी कितना आलसी है क्या तेरा एक ही ग्राहक है? जब देखो मेरे पास बैठा रहता है पहले तो कभी कभी मेरे पास आता था, अब 24 घंटे यहीं पसरा रहता है — देख मैं तुझे कितना प्यार करता हूँ, तेरी हर बात मानता हूँ तुझे याद है उस दिन जब सुबहContinue reading “आलस्य ज्ञान! Lethargic Wisdom !”

Hindi Diwas

कुछ पंकतियां हिंदी दिवस पर :- माँ ने पाला, माँ ने पोसा, हाथ पकड कर चलना सीखायाबड़ा हुआ पढ़ोसन लगी प्यारी, उससे मिलकर रोब जो आया आधुनिक बनने के चक्कर में, उसने माँ से पीछा छुडायापढ़ोसन के पिज्जा बर्गर के आगे, लगे घर का खाना पराया ज्ञान शिखर वो मातृ छाया, लगे पुत्र को अबContinue reading “Hindi Diwas”