गिला शिकवा शायरी

तुम्हे शिकवा मेरी मौजूदगी से हैये लो हम गुमशुदा हो गएमुस्कुराओ तुम अकेले हो अबऐसे क्यों गमज़दा हो गए —— ****** ——- कैसी तबियत है गुलिस्तां के फूल की, कांटे पत्तियां झाड़ कर जो मुस्कराना चाहता थामिट्टी से दूर होकर साफ रहने की हवस, अकेला ही टहनी पर खिलखिलाना चाहता थामाली ने तोड़ कर रौंदाContinue reading “गिला शिकवा शायरी”