तुम्हे रोकने की कोशिश तो की थीतुम्हे रुकना ग्वारा नही थातुम्हारे साथ था तो सब अच्छा थामैं भी तब तक आवारा नहीं थाकवर चेहरे पर क्या चढ़ाया था तुमनेक्या वो चेहरा भी तुम्हारा नहीं थामज़ाक तो ऐसे ही करते थे तुमहमारे जज्बात ने भी कुछ बिगाड़ा नहीं थाखेल लो सब तुम्हारे लिए ही आए हैहमारेContinue reading “तुम्हे रुकना ग्वारा नही था”
Tag Archives: the navras
गजल तुम पर
ये जो पूरा का पूरा अधूरा छोड़ रहे होअनबने रिश्ते तोड रहे होनफरत घोसलो के तिनकों से है गरतो सिर्फ तिनका निकालो, घोसला क्यों तोड रहे हो जो मिला ही नहीं वो छोड़ दियाअंगूर खट्टे है आखिर बोल ही दियाहर बात में नुक्स देखने का हुनरक्या तुमने भी आइना तोड़ दिया खामोशी से देखता हूंContinue reading “गजल तुम पर”
एहसास और अल्फाज
बहुत समझाया था एहसासो को,मत मिलो अल्फाजों से बिगड़ जाओगे जब तक तन्हा हो महफूज हो तुमअल्फाज बन गए तो रोड पर आ जाओगे मेरे निजी हो तो चहकते रहते हो ख्यालों में सारा दिनमहफिल ए आम हो गए तो ये प्यार कहां पाओगे कोई तोड़ेगा, मुंह मोड़ेगा, हसेगा तुम परएक वाह के लिए कईContinue reading “एहसास और अल्फाज”
सरफरोशी की तमन्ना
What a beautiful poem written by Legend Ram Prasad Bismil ! A founding member of Hindustan Republic Association (HRA) and close associate of Legend Bhagat Singh सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है ऐ शहिद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार ले तिरी हिम्मत का चर्चा साहिर ए महफिलContinue reading “सरफरोशी की तमन्ना”
रावण की अभिलाषा
उछलता कूदता खिलखिलाता रावन लंका आया आँखों में ख़ुशी के आंसू, चेहरा खिलता जाया सब दरबारी हैरान होकर देखे दानव के ओर रावण हॅसे और मुस्कुराये होवे भाव विभोर रावण आया सीता स्वंयवर से लेकर खाली हाथ खुश इतना क्यों है ये भयंकर जाने न कोई बात रावण तो एक स्त्री का स्वामी, वो तोContinue reading “रावण की अभिलाषा”
Hindi Diwas
कुछ पंकतियां हिंदी दिवस पर :- माँ ने पाला, माँ ने पोसा, हाथ पकड कर चलना सीखायाबड़ा हुआ पढ़ोसन लगी प्यारी, उससे मिलकर रोब जो आया आधुनिक बनने के चक्कर में, उसने माँ से पीछा छुडायापढ़ोसन के पिज्जा बर्गर के आगे, लगे घर का खाना पराया ज्ञान शिखर वो मातृ छाया, लगे पुत्र को अबContinue reading “Hindi Diwas”