दो बंदर बनके सिकंदर, अखंड के 2 खंड करवाएदोनो बने मुखिया खंडो के, 1947 को जीत कहायेभेड़ चाल जनता में ऐसी, जनेऊ पगड़ी टोपी भिड़ जाए धर्म के नाम पर देश बांटा, फिर सेकुलरिज्म के गाने गाये जिन्नहरू मैंने नहीं बोलै, फिर भी समझना है जो समझ जाए जनता रानी बड़ी सयानी ,आँख बंद करContinue reading “बन्दर बाँट”