तुम्हे शिकवा मेरी मौजूदगी से हैये लो हम गुमशुदा हो गएमुस्कुराओ तुम अकेले हो अबऐसे क्यों गमज़दा हो गए —— ****** ——- कैसी तबियत है गुलिस्तां के फूल की, कांटे पत्तियां झाड़ कर जो मुस्कराना चाहता थामिट्टी से दूर होकर साफ रहने की हवस, अकेला ही टहनी पर खिलखिलाना चाहता थामाली ने तोड़ कर रौंदाContinue reading “गिला शिकवा शायरी”
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गजल तुम पर
ये जो पूरा का पूरा अधूरा छोड़ रहे होअनबने रिश्ते तोड रहे होनफरत घोसलो के तिनकों से है गरतो सिर्फ तिनका निकालो, घोसला क्यों तोड रहे हो जो मिला ही नहीं वो छोड़ दियाअंगूर खट्टे है आखिर बोल ही दियाहर बात में नुक्स देखने का हुनरक्या तुमने भी आइना तोड़ दिया खामोशी से देखता हूंContinue reading “गजल तुम पर”
एहसास और अल्फाज
बहुत समझाया था एहसासो को,मत मिलो अल्फाजों से बिगड़ जाओगे जब तक तन्हा हो महफूज हो तुमअल्फाज बन गए तो रोड पर आ जाओगे मेरे निजी हो तो चहकते रहते हो ख्यालों में सारा दिनमहफिल ए आम हो गए तो ये प्यार कहां पाओगे कोई तोड़ेगा, मुंह मोड़ेगा, हसेगा तुम परएक वाह के लिए कईContinue reading “एहसास और अल्फाज”